हमारे बारे में
अहं ब्रह्मस्मी तत्वमसी ट्रस्ट का मुख्य उद्देश्य है कि समस्त जन समुदाय जो कोईभी जाती, लिंग, रंग या विचारों के भेद को ना मानते हुए सर्व के कल्याण हेतु सक्रिय रहें।
सभी के कल्याण के लिए ट्रस्ट सर्व प्रथम लोगो के कष्ट के निवारण हेतु दान द्वारा कष्ट निवारण के कार्यसे शुरुवात करने का प्रण उठाकर आगे बढ़ रहा है।
दान कब क्या क्यों और कैसे देना चाहिए इसकी शास्त्र में दी हुई विस्तृत जानकारी को अपनाते हुए एवं श्री स्वामी कल्पेशदास जी के मार्गदर्शन द्वारा कल्याण का प्रथम सोपान शुरू करेंगे।
दान कई प्रकार के होते हैं, जैसे-आहार दान, वस्त्र दान, गौ दान, औषधि दान, शास्त्र दान, अभय दान, रोगी को करुणा व सांत्वना का दान, ग्रहों के अनिष्ट निवारण के लिए दान, सुख-सौभाग्य व उन्नति की प्राप्ति के लिए दान, कन्या दान, पिंड दान व पद दान आदि। किस समय पर कौन-सा दान करना उपयुक्त रहता है, इसका यहाँ विस्तार से मार्गदर्शन किया जाएगा । दान के अतिरिक्त कुछ उपाय भी हैं, जिनके द्वारा हर एक मनुष्य अपने कष्ट का निवारण कर सकते है।
सुना है कि एक संत के भंडार में जब अन्नादि की कमी हो जाती, तो वह अपने शिष्यों को विशाल भंडारा करने की आज्ञा देते। और आश्चर्य कि उस भंडारे के बाद उनके भंडार में कभी-कभी तो वर्ष भर के लिए राशन इकट्ठा हो जाता। इस बारे में जब संत से उनके शिष्यों ने पूछा, तो वे उन्हें खेत में ले गए। उन्होंने अपने शिष्यों से पूछा, "खेत में किसान ने जितने बीज डाले थे, उतना ही उसे वापस मिलेगा या उससे ज्यादा?"
संत का इशारा शिष्यों ने समझ लिया।
आप भी संत का इशारा समझ गए होंगे। दान का यही रहस्य है। जो दोगे, वही मिलेगा पलटकर, वह भी कई गुना बढ़कर।
आजके महंगाई के युग में शास्त्र में लिखे हुए दान देना हर किसिके लिये संभव नहीं हो पाता तो क्या कष्टों का निवारण नहीं होगा?
अवश्य होगा,
कैसे ?
जैसे बिना संकल्प के कोईभी भगवद् कार्य संभव नहीं है, वैसेही बिना कोई संकल्प के कोई भी दान कार्य संभव नहीं होता और बिना संकल्प के किए गए भगवद् कार्य एवं दान का कोई फल प्राप्त नहीं होता या अंशतः ही प्राप्त होता है ।
इसी प्रकार जब कोई अकेला भगवद् कार्य एवं दान करने मे सक्षम ना हो तो उसे समूह में संकल्प के साथ किया जाता है और सामूहिक किए गए कार्य से सभीको पूर्णतः लाभ मिलता है ।
इसी विधान का उपयोग करके हम सभी को एकत्रित होकर सभी को सभी के द्वारा कष्ट का निवारण करना है ।
इस लिये श्री स्वामी कल्पेशदास जी के मार्गदर्शन में सभीको अहं ब्रह्मस्मी तत्वमसी ट्रस्ट को प्रति दिन केवल १ रुपये का दान करना है ।१ रुपया x ३६५ दिन = ३५६ रुपये जमा करके सभीको सदस्यता प्राप्त करनी है । जितनेभी सदस्य पंजीकृत हुए है उनके सभीके नाम से सामूहिक भगवद् कार्य एवं दान संकल्प के साथ किया जाएगा ।इस कार्य को आगे बढ़ाने हेतु आप सभीको आपने परिवार एवं मित्र गण के साथ अधिक से अधिक संख्या में जुड़ना होगा ।
इसमें आगामी भविष्य में गौशाला एवं सदाव्रत (लंगर) का आयोजन किया जाएगा ।
सभी सदस्यों को वेबसाइट के माध्यम से कार्यक्रम की जानकारी दी जाएगी एवं जो भी सदस्य स्वयं उपस्थित होकर के भगवद् कार्य एवं दान के संकल्प में सम्मिलित होने इच्छुक है वह आ करके आपने करकमलों द्वारा यह कार्य कर सकते है । (व्यवस्था बनाये रखने हेतु अहं ब्रह्मस्मी तत्वमसी ट्रस्ट के संचालन कर्ता कि पूर्व मंज़ूरी लेना आवश्यक होगा ।)