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November 7, 2024

कुंभ मेला २०२५

कुंभ मेला 2025 खगोल गणनाओं के अनुसार यह मेला मकर संक्रान्ति के दिन प्रारम्भ होता है, जब सूर्य और चन्द्रमा, वृश्चिक राशि में और वृहस्पति, मेष राशि में प्रवेश करते हैं। मकर संक्रान्ति के होने वाले इस योग को "कुंभ स्नान" कहते हैं और इस दिन का विशेष मंगलकारी महत्व है, क्योंकि ऐसा मानना है कि इस दिन पृथ्वी से उच्च लोकों के द्वार खुलते हैं अतः इस दिन स्नान करने से आत्मा उच्च लोकों को सहजता प्राप्त कर पाता है। यहाँ स्नान करना साक्षात् स्वर्ग दर्शन समान है। इसका सनातन धर्म मे बहुत अधिक महत्व है। वैदिक ग्रंथों के अनुसार 'कुंभ' का समान अर्थ “घड़ा, सुराही, बर्तन” है। अत्याधिक इसे पानी के विषय में एवं अमरता (अमृत) के बारे में बताया जाता है। किसी एक स्थान पर मिलने का अर्थ है “मेला”, एक साथ चलना, या फिर सामुदायिक उत्सव में उपस्थित होना। यह शब्द ऋग्वेद जैसे अन्य प्राचीन सनातनी

June 20, 2024

सदा फूलो फलो

बीज से कुछ सीखो, क्योंकि तुम भी बीज हो। और तुम इस पृथ्वी पर सर्वाधिक बहुमूल्य बीज हो, क्योंकि तुमसे ही परमात्मा का फूल खिल सकता है। वह स्वर्ण-कमल तुम्हारी झील में ही खिलेगा। तुम पर एक बड़ा दायित्व है। तुम अगर बिना परमात्मा को जाने मर गये तो तुमने अपना दायित्व पूरा न किया। तुम बीज की तरह ही मर गये; टूटे नहीं, अंकुरित न हुए; फूले नहीं, फले नहीं। और परितोष, संतोष उसी को मिलता है--जो फूला, जो फला। देखा है, फूल और फलों से जब वृक्ष लद जाता है, तो उसके आसपास कैसी परितोष की छाया होती है, कैसे आनंद का भाव होता है, परितृप्ति! आदमी बांझ ही मर जायेगा? अधिक आदमी बांझ ही मर जाते हैं। जो होने को हुए थे बिना हुए मर जाते हैं। बीज से कुछ सीखो। बीज वृक्ष हो सकता है, लेकिन अगर ठीक भूमि न खोजे तो नहीं हो पायेगा। कंकड़-पत्थर

June 17, 2024

दान देने के लाभ

सौभाग्य की प्राप्ति शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को चिर सौभाग्य प्राप्त करने की कामना से दान का विधान किया जाता है। इस दिन प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर, श्वेत साफ वस्त्र धारण करके किसी श्वेत वस्त्र का दान पूजनोपरांत ब्राह्मण को देना चाहिए। वस्त्र पर सामर्थ्य के अनुसार कुछ रुपये व मिष्ठान भी रखने चाहिएं तथा वस्त्र पर हल्दी का टीका भी लगा देना चाहिए। इस दान के करने से सौभाग्य की प्राप्ति तो होती ही है, वैधव्य दोष भी मिट जाता है। शत्रु से रक्षा चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को जौ का दान करने का बड़ा माहात्म्य है। प्रातः किसी ब्राह्मण को भोजन कराकर, दो मु‌ट्ठी जौ किसी श्वेत वस्त्र में बांधकर उसे दें। जौ का यह दान किसी जोशी (पड़िए) को भी दिया जा सकता है। इसी तरह ब्राह्मण के स्थान पर किसी कन्या को भी भोजन कराया जा सकता है। इस तरह

June 17, 2024

दान की उपयोगिता

दान देना त्याग है, पर त्याग किसका करें? जो देता है, वह लेता है और जो लेता है, वह देता भी है। संसार में ज्ञान अनंत है। ज्ञान का दीपक सदैव जलता रहता है। इसलिए ज्ञान का दान ही सर्वश्रेष्ठ है। संसार में जब तक अशुभ कर्म का बोलबाला रहता है, तब तक न कोई दे सकता है और न कुछ ले सकता है। त्याग भी वही श्रेष्ठ है, जिसमें अहंकार न हो, यदि दान देते समय अहंकार की भावना पैदा हो जाए तो वह दान देना व्यर्थ है। दान वही श्रेष्ठ है, जिससे दूसरे को भी सुख की प्राप्ति हो। सद्भावना से दिए गए दान का सदा अच्छा फल मिलता है। आहार, औषध, ज्ञान और वसति (वास) का दान इस संसार में सर्वश्रेष्ठ है। दानी व्यक्ति की सुगंध तो चंदन की भांति स्वयं ही फैलती है। दान देने से भी त्याग नहीं होता। जब तक मनुष्य पर-पदार्थों को अपना

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