कुंभ मेला २०२५
कुंभ मेला 2025 खगोल गणनाओं के अनुसार यह मेला मकर संक्रान्ति के दिन प्रारम्भ होता है, जब सूर्य और चन्द्रमा, वृश्चिक राशि में और वृहस्पति, मेष राशि में प्रवेश करते हैं। मकर संक्रान्ति के होने वाले इस योग को "कुंभ स्नान" कहते हैं और इस दिन का विशेष मंगलकारी महत्व है, क्योंकि ऐसा मानना है कि इस दिन पृथ्वी से उच्च लोकों के द्वार खुलते हैं अतः इस दिन स्नान करने से आत्मा उच्च लोकों को सहजता प्राप्त कर पाता है। यहाँ स्नान करना साक्षात् स्वर्ग दर्शन समान है। इसका सनातन धर्म मे बहुत अधिक महत्व है। वैदिक ग्रंथों के अनुसार 'कुंभ' का समान अर्थ “घड़ा, सुराही, बर्तन” है। अत्याधिक इसे पानी के विषय में एवं अमरता (अमृत) के बारे में बताया जाता है। किसी एक स्थान पर मिलने का अर्थ है “मेला”, एक साथ चलना, या फिर सामुदायिक उत्सव में उपस्थित होना। यह शब्द ऋग्वेद जैसे अन्य प्राचीन सनातनी